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डायलॉग मत झाड़ो, लण्ड घुसाओ-1

प्रेषक : अमितमेरा नाम अमित है,डायलॉगमतझाड़ोलण्डघुसाओ पटना का रहने वाला हूँ। यह मेरी पहली कहानी है, यह सौ फीसदी सत्य पर आधारित है, आशा है कि आप सभी को पसंद आएगी।बात उन दिनों की है जब मैं कॉलेज की पढ़ाई में बहुत ही मन लगा कर पढ़ता था। उस समय मेरी उम्र करीब 21 साल की रही होगी, मैं अपने मामा के यहाँ रहकर पढ़ता था।मैं कॉलेज कभी-कभी जाया करता था क्योंकि वहाँ नाम मात्र की पढ़ाई होती थी।मैं ज्यादातर अपनी कोचिंग से ही अपनी पढ़ाई पूरी कर लेता था और अपने दोस्तों से भी नोट्स माँग कर मैनेज कर लेता था।आपको बता दूँ कि मेरे मामा का घर बहुत बड़ा और मेरे घर से लगभग 2 किमी की दूरी पर ही था। मेरा घर बहुत ही छोटा है, मेरे घर में मेरे मम्मी-पापा के अलावा मेरे दो छोटे भाई और एक छोटी बहन रहती है।मेरा घर बहुत छोटा होने के कारण मेरा पढ़ाई अपने घर में नहीं हो पाती थी, जिसके कारण मैं रोज सुबह 10 बजे ही अपने मामा के यहाँ पढ़ाई करने चला जाता था और शाम को वापस घर आता था।मेरे मामा को बेटा नहीं था, वो मुझे बेटे की तरह मानते थे और प्यार भी करते थे। मामी भी बहुत प्यार करती थीं और मुझे रोज अच्छे-अच्छे पकवान बना कर खिलाती थीं।उनकी सिर्फ एक बेटी है, उसका नाम निधि है। वह पढ़ती थी और अगले साल उसे बोर्ड का एग्जाम देना था, जिसके कारण वह भी मन लगा कर पढ़ाई करती थी।वह सुबह आठ बजे से बारह बजे तक कोचिंग के लिए जाती थी। उसे घर आते-आते 12:30 हो जाते थे।मुझे मामाजी ने मेरी पढ़ाई के लिए एक अलग कमरा दे रखा था। मामाजी शाम 6 बजे अपने ऑफिस से लौटते थे।एक दिन मैं मामाजी के यहाँ पढा़ई कर रहा था, तभी मेरी मामी मेरे कमरे मे आईं और बोलीं- अमित देखो, रसोई में गैस खत्म हो गई है और नया सिलेंडर लगाना मुझे नहीं आता है.. प्लीज़ चलो न.. लगा दो ना..! आई एम वेरी सॉरी.. तुम्हारी पढ़ाई में दखल करने के लिए।मैंने कहा- इसमें सॉरी बोलने की क्या बात है.. मामी चलिए, मैं नया सिलेंडर लगा देता हूँ।मैंने जाकर नया सिलेंडर लगा दिया तो उन्होंने कहा- चाय पी लो, पढ़ते-पढ़ते थक गए होगे।मामी चाय बनाने लगीं और मैं रसोई से सटे कमरे में बैठ गया और चाय का इंतजार करने लगा।थोड़ी देर बाद मामी चाय लेकर आईं और कहा- अमित, अगर प्रेशर-कुकर तीन सीटी दे दे तो गैस बन्द कर देना, थोड़ी देर में निधि कोचिंग से आ जाएगी।और इतना कहने के बाद वो बाथरूम के अन्दर नहाने चली गईं।एक बात आप सभी को बता दूँ कि मेरी मामी की उम्र अधिक नहीं थी और उनकी जवानी अभी चरम सीमा पर थी। वो काफी गोरी थीं और उनके लम्बे-लम्बे बाल थे और देखने में काफी कुछ सोनाली बेन्द्रे जैसी लगती थीं।वो मुझे अपने दोस्त की तरह समझती थीं क्योंकि दिन भर मैं और मेरी मामी घर पर रहते थे, सो उनसे मेरे लगाव बहुत ज्यादा था।मैं मन ही मन मामी के बारे में सोचा करता था कि मामा कितने भाग्यशाली है कि उन्हें मामी जैसी खूबसूरत औरत मिली।उस समय मेरी जवानी अपनी शुरूआत में थी और मैं अपने और मामी के बारे में सोच कर मुठ मारा करता था। उस समय मेरी कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं थी।मैं मामी को चोदना चाहता था लेकिन डर था कि मेरे कुछ करने पर वो मामा को बता देंगी, तब क्या होगा?तीन सीटी देने के बाद मैंने गैस बन्द कर दी और अपने ऊपर वाले रूम में जाने लगा। पता नहीं मेरे मन में क्या आया और मैंने सोचा कि मामी की बिंदास जवानी को ऊपर रूम से सटे हुए बाथरूम के वेंटीलेटर से देखा जाए, सो मैं ऊपर सीढ़ी वाले वेंटीलेटर से अपनी जवान मामी को देखने लगा, लेकिन मेरी मामी को यह पता नहीं था कि मैं ऊपर चला गया हूँ।मैंने जैसे ही वेंटीलेटर के एक छोटे से छिद्र से देखा तो दंग रह गया वो अपनी दोनों चूचियों पर साबुन लगा कर झाग पैदा कर रही थीं और जोर-जोर से अपनी चूचियों को दबा रही थीं।यह देखते ही मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया।क्या बताऊँ दोस्तो, उस समय लगा कि मैं अपनी मामी को यहीं पटक कर चोद दूँ, बाद जो होगा सो देखा जाएगा।इतने में कॉलबेल बजी तो देखा कि निधि आ गई थी।मैं झट से अपने कमरे में चला आया और पढ़ने के लिए बैठ गया, लेकिन मेरे मन में मामी की गोल-गोल चूचियाँ ही दिख रही थीं।उस रात मैं अपने मामा के यहाँ ही रूक गया था, क्योंकि निधि ने मुझसे मैथ्स में कुछ पूछना था, इसलिए मामाजी ने मेरी मम्मी को फोन कर दिया- दीदी, अमित आज यहाँ खा कर सो जाएगा, चिंता मत करना।मेरी मम्मी मेरी चिंता बहुत करती थीं।रात 12 बजे जब मैं पेशाब करने के लिए उठ कर बाथरूम की ओर जैसे ही बढ़ा कि मुझे कुछ खुसुर-फुसुर की आवाज सुनाई दी।वो आवाज मामाजी के कमरे से आ रही थी।मैंने दरवाजे के एक छोटे से छेद से देखा तो देखकर दंग ही रह गया। मैंने देखा कि मामा नीचे लेटे हुए थे और मामी ऊपर चढ़ी हुई थीं और जोर-जोर से सिसकारियाँ के रही थीं।मामा नीचे से मामी के बुर को जोर-जोर से चोद रहे थे। मामा का लौड़ा काफी बड़ा और लम्बा दिख रहा था। मामी पूरी तरह से नंगी थी।कुछ देर बाद मामा ने उठ कर मामी को बेड पर पटक दिया और उनकी मस्त भीगी हुई बुर को चाटने लगे और मामी को बड़ा मजा आ रहा था।मामी अपने मुँह से ‘आह-ह आह..उई उई इइइईईई’ निकाल रही थीं।यह सब देख मेरा लंड एकदम लोहे की तरह खड़ा हो कर फुंफकारने लगा था और पानी-पानी हो गया था। फिर मामी ने अपने मुँह से मामाजी का लंबा लंड को चूसने लगीं।मामा भी मामी के बाल पकड़कर सहला रहे थे ओैर मामी जोर-जोर से मुँह ऊपर-नीचे कर रही थीं।अंततः मामा जी ने मामी को इशारे में कहा कि लंड को छोड़ो और मेरे नीचे आ जाओ।फिर मामी नीचे आ गईं, मामा ने अपने लंड को जोर से हिलाया और मामी की गुलाबी बुर के ऊपर रगड़ने लगे।मामी की आँख में एक प्यासी कशिश थी, जो मामा को मन ही मन कह रही थी कि अब कितना तड़पाओगे.. जल्दी मेरी बुर में पेलो न.. !मामा ने धीरे-धीरे रगड़ते हुए अपने लम्बे लौड़े को जोर से झटका मारते हुए मामी की बुर के अन्दर अपना लंड पेल दिया।मामी जोर से चिल्ला उठीं और मामी के आँखों से पानी आ गया।फिर उन्होंने अपने आप को संभालते हुए मामा को जोर से पकड़ लिया और मामा का साथ देने लगीं।मामा उस समय तो कसाई जैसे लग रहे थे। मामी दर्द से चिल्ला रही थीं और मस्त चुदवा रही थीं।मामा भी अपना लंड को बिना रोके चोद रहे थे।इतने मे पीछे से कोई ने मुझे आवाज लगाई।मैंने पलट कर देखा तो पीछे निधि खड़ी थी।मैं तो उसे देख कर सहम गया।कहानी जारी रहेगी।मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।[email protected]

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