90 साल पुरानी मल्टीनेशनल ब्यूटी कंपनी रेवलॉन (Revlon INC) इंक दिवालिया हो गई. कंपनी ने बैंकरप्सी (Bankruptcy) के लिए आवेदन दायर कर दिया है. रेवलॉन अपना कर्ज नहीं चुका पा रही थी और सप्लाई चेन की समस्या ने कंपनी की हालत खराब कर दी. कोविड लॉकडाउन (Covid Lockdown) के बाद खुले मार्केट में रेवलॉन इंक के प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ी,अमेरिकाकीबड़ीकंपनीहुईदिवालियाबनातीथीयेफेमसनेलपॉलिशऔरलिपस्टिक लेकिन कंपनी खराब सप्लाई चेन की वजह से अपने प्रोडक्ट्स को ग्राहकों तक पहुंचाने में असफल रही. साथ ही कंपनी को दूसरे ब्रांड्स से तगड़ी चुनौती मिल रही है. रेवलॉन इंककी ओनरशिप अरबपति कारोबारी Ron Perelman की कंपनी MacAndrews & Forbes के पास है.चैप्टर 11 बैंकरप्सी के तहत कंपनी अपना कारोबार जारी रख सकती है. साथ ही कर्ज को चुकाने के लिए प्लान बना सकती है. रेवलॉन के 15 से ज्यादा ब्रैंड हैं, जिनमें Elizabeth Arden और Elizabeth Taylor शामिल हैं. करीब 150 देशों में रेवलॉन के प्रोडक्ट की बिक्री होती है. मार्च के तक कंपनी पर 3.31 अरब डॉलर का कर्ज था. कंपनी अपने कर्जदारों से ब्याज पर राहत देने की बात कर रही है. पिछले साल रेवलॉन ने 248 मिलियन डॉलर की रकम ब्याज के रूप में चुकाई थी. रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से मार्च के दौरान कंपनी को 67 मिलियन डॉलर का शुद्ध घाटा हुआ था.महामारी के पहले वर्ष 2020 में बिक्री में कंपनी के प्रोडक्ट की बिक्री में 21 फीसदी की गिरावट आई थी. हालांकि, ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी की बिक्री में 9.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. मार्च में समाप्त हुई तिमाही में रेवलॉन की बिक्री लगभग 8 फीसदी बढ़ी थी. ग्लोबल सप्लाई चेन की समस्या की वजह से कई कंपनियां मुश्किलों का सामना कर रही हैं, लेकिन रेवलॉन इस परेशानी से अधिक जूझ रही है.कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) डेबरा पेरेलमैन ने कहा कि यह फाइलिंग रेवलॉन हमारे भविष्य के विकास के लिए एक स्पष्ट रास्ता प्रदान करेगी. कंपनी की ओर से कहा गया कि अगर उसके आवेदन को अदालत से मंजूरी मिल जाती है, तो उसे अपने कर्जदाताओं से 575 मिलियन डॉलर की मदद मिलने की उम्मीद है.90 साल पुरानी रेवलॉन इंक ने नेल पॉलिश बेचने से अपने कारोबार की शुरुआत की थी. साल 1932 में भारी मंदी के दौर में चार्ल्स रेवसन और जोसेफ रेवसन नाम के दो भाइयों ने इस कंपनी की शुरुआत की थी. नवंबर 1985 में रेवलॉन को पैंट्री प्राइड नाम की कंपनी ने 58 डॉलर प्रति शेयर के हिसाब से कुल 2.7 अरब डॉलर में खरीद लिया था.ये भी पढ़ें: